वार्षिक प्रतियोगिता कविता 3:- प्रकृति
वार्षिक प्रतियोगिता
कविता 3:- प्रकृति:-
प्रकृति है हमारी बड़ी निराली
उसके बिना सोच भी है खाली
देखो सुंदर -सुंदर फूल
सारे दुःख-दर्द जाओ भूल
पेड़-पौधे हैं बड़े निराले
बादल छा गए काले-काले
खूब होगी झमाझम बरसात
मिलकर करेंगे ढेर सारी बात
जो तुम दोगे हमारा साथ
सब मिलकर करेंगे ठाठ
बात पते की तुम समझ लो
प्रकृति की सुंदरता आंखों में भर लो
प्रकृति की करो सच्ची रखवाली
कभी न होगी झोली खाली।
fiza Tanvi
28-Feb-2022 05:44 PM
Good
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Swati Sharma
28-Feb-2022 05:57 PM
Thanks
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